
20 श्री चेतनदत्त जी महाराज
श्री नन्दकुमार कामदार के पश्चात पण्डित श्री चेतनदत्त जी महाराज कामदार के पद पर सन् 1950 में पदासीन हुये। आपका जन्म सन 1916 आषाढ़ कृष्ण सप्तमी को हुआ था । आपके पूज्य पिता श्री का नाम श्री दंगलदास जी त्रिपाठी एवं परम साध्वी माता श्री सुन्दरबाई थी । आप प्रारम्भ में संस्कृत के छात्र रहें है । अतएव विशेष अध्ययन के लिए इन्दौर तथा काशी जाना पड़ा । अध्ययन समाप्ति के उपरान्त आप श्री कृष्ण निजानन्द माध्यमिक विधालय धाम पन्ना में संस्कृत अध्यापक के स्थान पर नियुक्त हुये । आपने परमहंस श्री मेहरदासजी महाराज से शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की ।
आदरणीय श्री नन्दकुमार जी के पश्चात कामदार का पद रिक्त होने पर सर्वसम्मति से आपको कामदार के पद पर सन् 1951 में पदासीन किया गया । आप श्री मुखवाणी के मर्मज्ञ वक्ता और धार्मिक पर्वो पर भजन मण्डली के प्रमुख गायक रहें है आपने अपने सरल व्यवहार से सबकों सदा सन्तुष्ट रखा ।
श्री 108 श्री प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट बोर्ड की स्थापना सन् 1961 में हुई । आपके कामदारी पद के पूर्ण सहयोग से ट्रस्ट का निर्माण संभव हुआ और जिस बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष पं श्री प्यारेलाल जी शर्मा हुये । ट्रस्ट बोर्ड बनने के बाद सन् 1962 तक आपने मैनेजर के पद पर कार्य सम्पन्न किया, क्योंकि ट्रस्ट बोर्ड के पूर्व परम्परागत कामदार पद को समाप्त कर मैनेजर पद प्रारम्भ किया, तब से ट्रस्ट बोर्ड में प्रबंधक मैनेजर की परम्परा यथावत चलती रही है । पं श्री चेतनदत्त जी कामदार एवं मैनेजर पद से मुक्त होकर पुनः धाम स्कूल में संस्कृत की शिक्षा प्रदान करने लगें, इस तरह आप ग्यारस वर्ष तक कामदार के पद पर आसीन रहें । मैनेजर के पद से मुक्त होकर आप धाम स्कूल में संस्कृत अध्यापक बनें इन्होने सन् 1962 से 1977 तक प्रधानाध्यापक पर रहकर सेवा की ।
श्री दत्त जी ने अपने जीवन के पडाव में अनेकानेक सामाजिक, राजनैतिक व कुशल प्रशसकीय लोकहितकारी कार्य कियें जो जिनमें आपने सन् 1950 से 1960 तक कामदारी पद के अलावा पन्ना रियासत मे स्थापित प्रजामंडल पन्ना में सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य किया व अपना सक्रिय सहयोग देकर पन्ना जिला निर्मित करवाया । तत्पश्चात 1967-68 में राजनैतिक पडाव में कॉंग्रेस के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते श्री प्राणनाथ जी बार्ड से नगरपालिका परिषद पन्ना में तात्कालिक अध्यक्ष श्री रामकुमार मिश्रा के कार्यकाल में कॉग्रेस के पार्षद रहें, आपने 15 वर्षो तक नगरपालिका पन्ना में अनेक समितियों के सदस्य भी रहें ।
वैसे तो आपने अपना जीवन धर्म के लिए ही समर्पित किया । इन्होने अपने शतायु जीवन में अविरल गति से श्री निजानंद सम्प्रदाय की धार्मिक पाठशाला चलाई, वेद शास्त्र के गूढ़ रहस्य व प्रणामी धर्म में अनेकानेक गूढ़ रहस्यों को वे अपने श्रेष्ठ ज्ञान से सहज में खोल देते थें । आपनें हजारों शिष्यों को दीक्षा दी व अनेकों विद्वान, धर्मोपदेशक व लेखक तैयार किये । आप मासिक पत्रिका मुक्तिपीठ के कुशल सम्पादक भी रहें, प्रमुख रूप से आप वाणी टीकाकार, वीतराग, वाणी मर्मज्ञ, कुशल भागवतकार कथाकार, तथा धर्म के वरिष्ठतम पद श्री 108 धर्मगुरू के पद से शोभायमान हुयें । आपका मूल मंत्र था -
ज्यों ज्यों गरीबी लीजे साथ में, त्यों त्यों धनी को पाइयें मान ।।
पदमावतीपुरी धाम पन्ना की स्थापना में सक्रिय योगदान देकर आप सचिव के पद पर करीब पच्चीस वर्ष तक पूर्ण समर्पित भाव से मंदिर की सेवा करते रहें । इसके पश्चात आप मुक्तिपीठ मासिक पत्रिका के मुख्य संपादक के पद पर लम्बे समय तक सेवारत रहें । इस प्रकार आपने कुशलतापूर्वक सुचारू रूप से एवं अपूर्व सफलता के साथ मुक्तिपीठ का संपादन किया । श्री भंडार जी में आपने 15 वर्षो तक पूर्ण समर्पित भाव से सेवा की है । आपमें श्री प्राणनाथ जी मंदिर के प्रति श्रद्धा-भाव कूट-कूट कर भरी थी ।
आपके जीवन का अधिंकाश भाग करीब 50 वर्ष श्री प्राणनाथ जी मंदिर में सचिव, सम्पादक, प्रबंधक, एवं धर्मोपदेशक आदि पदों पर व्यतीत हुआ है । यथार्थ में श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर की प्रेमपूर्वक सेवा करना आपका परम धर्म हो गया था । ऐसी आध्यात्मिक परिस्थिति में उनके लिऐ श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ही साधना, भूमि, कर्मभूमि, एवं सिद्ध भूमि थी । इन्होने आपनी सरकारी नौकरी छोडकर अपना जीवन ही मानों श्रीजी के चरणों में समर्पित कर दिया था ।
धामगमन के एक दिन पूर्व दिनांक 2 अप्रैल 2008 को स्वजागरण यात्रा के आत्मानुभाव के कारण आपने आपना सपूर्ण भार मंदिर के महाप्रबंधकं को सौप कर ब्रम्हमुहूर्त में दिनांक 3 अप्रैल 2008 को अपना यह शरीर छोडकर श्री राजजी महाराज के श्री चरणों में ब्रम्हलीन हो गये ।
" आत्मा की यही सच्ची पहचान है।" मोमिन मौत फरक । "
- संकलन कर्ता : पुजारी श्री प्रशांत शर्मा, धाम पन्ना.